Saturday, December 25, 2010

Rawan Jee

                                              हास्य परिहास
                                   ''रावण जी मरने का क्या लोगें......!''
                               अतिथी कालम रामकिशोर पंवार
आजकल पूरे देश ही नहीं बल्कि विश्व में बस हर कोई किसी से बस यही सवाल करता है कि ''बोलो क्या लोगें....?'' लेने - देने का प्रचलन बैतूल की जनपद के पास की गंगा की होटल के गंगा से लेकर अमेरिका की सीनेट के सदस्य तक के पास चलता है। वह भी आपसे यही सवाल करेगा कि ''कहिये आप क्या लेना पंसद करोगे.....? '' विहस्की हो या रम मिट जाये सबके गम लेकिन लेने - देने की इस संगत से कोई नहीं बच सका है। यह बात को आप कही पर भी किसी भी प्लेटफार्म पर देख सकते है । श्रीमान बुरा मत मानिये लेकिन सच्चाई जानने के बाद हैरान भी मत होईयें क्योकि यह सच है कि आप किसी को भी कुछ भी काम बता दीजिए वह आपासे यह जरूर कहेगा कि ''बोले क्या दोगे.....?'' अब यह भी कडुवा सच है कि लेने - देने की प्रकिया आपको हर वक्त कहीं भी दिखाई पड़ जाती है। आपकी घरवाली हो या बाहरवाली - सगी हो या मँुहबोली साली वह भी यही सवाल करेगी जीजा जी क्या लोगें....? बगैर लिये - दिये तो कुछ भी काम - धाम नहीं होने वाला..? अब यह बात अलग है कि दाऊद मेमन के डर से उसकी चिटठ्ी पर बिना कुछ लिये दिये बैतूल आकाशवाणी का उद्घोषक भाई पंसीदा फिल्म पार्टनर का गाना उन्हे सुना दे..! लेन -देने के इस कलयुग में जब रामलीला चल रही थी तब रावण बना व्यक्ति राम से लगातार युद्ध करने के बाद मरने का नाम ही नहीं ले रहा था तब बेचारा राम हैरान और परेशान हो गया। जब रावण मरने को तैयार नहीं हुआ तो रामलीला का डायरेक्टर उसके हाथ - पैर जोडऩे के लिए तैयार हो गया कि वह मर जा लेकिन रावण बना व्यक्ति इस जिद पर अड़ा रहा कि पहले राम बने व्यक्ति की साली से उसकी सेटिंग करा दे.......! राम और रावण के युद्ध में राम की साली कहाँ से आ गई ..? कई बार अकसर होता है कि कई मामले सिर्फ लेन -देन के चक्कर में उलझ कर रह जाते है। जबसे त्रेतायुग के राम ने रावण को मारा है उसके बाद से आज तक कलयुग का रावण राम के हाथो मरने का तैयार ही नहीं हो रहा है। आज इस देश में कलयुग का रावण कभी साम्प्रदायिका का रूप लेकर गोधरा का काण्ड करा देता है तो कभी काशी की बाढ़ बन कर प्रलय ला देता है। इस देश का क्या होगा जहाँ पर रावण कभी सिमी का जुबान बोलता है तो कभी बजरंग दल के उप्रदवी तत्वो की शक्ल में उत्पात मचाता है। कभी वासना का रूप लेकर अपनी बहु की अस्मत को लूटने वाले ससुर के रूप में रावण की करतूत सामने आती है तो कभी वह साध्वर ऋतुम्भरा  की वाणी से वैमनस्ता का ज़हर उगलने लगता है। आज का राम उसके सामने घुटने टेक कर देश के अरबो - खरबो आबादी के रूप में विवश होकर उसकी जुल्म - यातना को सहन करने का मजबुर हो जाता है। कई युगो तक कोई रावण के समान विद्धवान महापंडित नहीं हुआ है उस रावण को पता नही इस घोर कलयुग में ऐसा क्या नशा चढ़ गया है कि वह अपनी प्रजा सहित इस सृष्टि पर निवास करने वाले सभी जलचर - नभचार - निसचर सहित आम जन मानस को भी ना- ना प्रकार की यातनो के साथ शारीरिक - मानसिक - बौद्धिक - आर्थिक प्रताडऩा देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। रावण से हम सभी का बहँुत पुराना रिश्ता रहा है। अगर कोई कहे कि वह रावण सगा नहीं है या उसका रावण से कोई सबंध नहीं है तो मै इसे नहीं मानता क्योकि रावण तो हर व्यक्ति में निवास करता है। रावण को बुराई का प्रतिक माना गया है। हर इसंान में कोई न कोई बुराई जरूर होती है। असत्य पर सत्य की विजय का प्रतिक है विजय दशमी दशहरा पर्व जिसे सभी लोग मनाते है। भगवान राम ने जब रावण का वध किया था तब उस समय उन्होने अपने अनुज लक्ष्मण से कहा था कि लक्ष्मण जाओं रावण से कुछ ज्ञान हासिल करो। जब लक्ष्मण रावण के सिर के सामने खड़े हुये तो भगवान राम ने लक्ष्मण को समझाया कि अगर किसी से कुछ  सीखना चाहते हो तो उसके चरणो में जाकर सीखो....! आज यदि राम अपने अनुज लक्ष्मण से कहता कि '' जाओ रावण से कुछ सीखो ......!'' तो वह बसी सवाल करता कि ''भैया रावण क्या लेगा...!'' कलयुगी रावण भी लक्ष्मण को देख कर यही पुछता ''पहले तू यह तो बता कि तू मुझसे ज्ञान लेने के बदले में क्या देगा....?'' आज के इस दौर में हालात तो यह हो चुके है कि पहली हो या कालेज हर कोई स्कूल या कालेज जाने वाला बच्चा अपने बाप से लेकर मास्टर - प्रोफेसर से बस यही सवाल करेगा कि '' बोलो क्या लोगो....!''  आजकल इस समय समय का चक्कर कहिये या फिर आदमी के घन चक्कर बनने का असर हर कोई इतना - उलझ गया है कि इस देश में मंहगाई - दहेज - वैमनस्ता - भुखमरी - गरीबी - लाचारी - व्याभीचारी - चोरी - चकारी - गददरी - मक्कारी - रूपी रावण के दस सिरो को काटने का साहस नहीं कर पा रहा है उसे इन सब दस सिरो वाले संकट रूपी रावण को बार - बार - मोबाइल पर मैसेज भेज कर यही सवाल पुछना पड़ रहा है कि हे दशानन तुम मेरे देश में नासूर की तरह फैले हुये हो प्लीज अपने मरने की कीमत तो बता दो.....? एक बार तो अपनी मौत के लिए ली जाने वाली रकम तो बता दो....? आखिर हम सब तो जान सके कि आप मरने का क्या लोगें.....? यदि रावण जी आप नहीं मरे तो इस कलयुग की जनता तड़प - तड़प कर मर जायेगी। हम मर जायेगें तो फिर हर साल रामलीला करने का या दशहरा के मनाने का क्या औचित्य रह जायेगा...? रावण जी एक बात दिल से कहना चाहता हँू कि आप माने या न माने लेकिन दिल की बात कह रहा हँू अब तो हमे भी आपको जलाने और आपके झुठे मरने के नाटक करने से ऊब होने लगी है क्योकि मेरे बच्चे भी यह सवाल करते है कि पापा जब त्रेतायुग में रावण मर गया तो फिर बार - बार उसके मरने क्रा नाटक क्यों मंचित किया जाता है....? कहीं ऐसा तो नही कि पापा आज तक रावण मरा ही नहीं हो ....? कई बार अज्ञानी बेटा भी ज्ञानवर्धक बाते कह जाता है तब यह सोचा जा सकता है कि कौन किसका बाप है....? आज के समय में देश के ही नही विश्व के हालात बता रहे है कि रावण मरा नहीं जिंदा है। रावण का जगंलराज आज भी श्री लंका ही नहीं ्रबल्कि अमेरिका में भी चल रहा है। आज दुनिया की नम्बर वन पोजिशन पर सिरमौर बना अमेरिका स्वंय कोई निर्णय लेेने की स्थिति में नहीं है तभी तो उसके देश की जनता को सददाम हुसैन रावण के रूप में दिखाई पड़ा और उसने उसे तब तक फाँसी पर लटकाये रखा जब तक कि वह पूरी तरह मर नहीं गया। अमेरिका को अपनी सुरक्षा के लिए सैकड़ो रावणो का डर सताने लगा है तभी तो हर किसी से डरा सहमा रहता है। मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम भारत के साथ संधि करने में उसे राम की मर्यादा की जगह रावण की कुटनीति दिखाई पड़ती है और इसी वज़ह से वह राम को भी रावण की शक्ल में देख कर बार - बार उसके मरने के लिए षडयंत्र रच कर अनेका आंतकवादियो को प्रशिक्षित कर उन्हे हथियार और पैसे देकर भारत में आंतकवाद का साम्राज्य स्थापित करने में लगा है। आज की स्थिति में अगर यदि हमें अपने देश और देश की जनता को सलामत रखना है तो रावण के प्रतिक बने दशानन से एक ही प्रश्र करना चाहिये कि रावण जी मरने का क्या लोगें....?

No comments:

Post a Comment